पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर उठे सवाल
रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 11 मई 2021 : जन अधिकार पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी से कई सवाल उठने लगे हैं।यह लाजिमी है। दबंग और बाहुबली छवि के धनी पप्पू यादव की हाल के वर्षों जनता के सवाल पर सड़क पर आकर विरोध प्रदर्शन ,और दीन- दुखियों की मदद करने की गतिविधियां चर्चा में रही हैं। लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन को लेकर आज हुई गिरफ्तारी का प्रशासन की असंवेदनशील कार्रवाई मान विरोध हो रहा है ।
ऐसे में जनप्रतिनिधियों की अपेक्षित भूमिका और सार्थकता पर भी सवाल उठना लाजिमी है। तब तो सांसद-विधायक को वेतन-भत्ता और जीवन-पर्यंत पारिवारिक पेंशन की सुविधा के औचित्य पर सवाल उठना भी लाजिमी है। कोरोना की महामारी में लॉकडाउन है। अब तो यह लाख टके का सवाल है कि इस अवधि में क्या जनप्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं है? जनता मरती रहेऔर जन प्रतिनिधि घरों में दुबके रहें? ऐसा नियम न्यायसंगत है? प्रशासन की कमी जागर करना अपराध है? दवा और आक्सीजन की कालाबाजारी किसी से छिपी है? जनता की सुधि लेने के लिए कोई पप्पू यादव बने तो उसकी गिरफ्तारी की कार्रवाई उचित है? सरकारी काम में हस्तक्षेप के बहाने कार्रवाई न्यायसंगत है? मानवीय संवेदना के अनुकूल है? सामान्य दिनों में सांसद-विधायक की अधिकारी कहां सुनते हैं? मुख्यमंत्री के स्तर पर होनेवाली सासंद-विधायकों की शायद एक भी बैठक अपवाद में नहीं रही जिसमें अधिकारियों द्वारा सुनने की शिकायतें नहीं गूंजी हो।पूर्व मंत्री एवं विधायक मेवालाल चौधरी की कोरोना से हुई मौत और उनके उपचार में कथित उदासीनता व लापरवाही की चर्चा पर भी संवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है?पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर पूर्व सीएम एवं हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और वीआईपी के अध्यक्ष एवं बिहार सरकार के मंत्री मुकेश साहनी की ट्वीट में प्रतिक्रिया सही और प्रशंसनीय है। यह समय जनता के दुख-दर्द में सहभागी बनने का है।
लॉकडाउन से बेशक संक्रमण की रफ्तार थमी है।पर अस्पतालों में बेड,आक्सीजन और दवा की कमी अपेक्षित उपचार और लोगों के भरोसे की चिकित्सा व्यवस्था की अभी भी भारी कमी है।मैं खुद चिकित्सा व्यवस्था की कमी का भुक्तभोगी हूं। मां के लिए आक्सीजन की कमी होने पर चार दिनों तक घर पर ही व्यवस्था करने की भारी जद्दोजहद उठायी है। अस्पताल में बेड खाली नहीं मिलने और आक्सीजन सुलभ नहीं होने के कारण कई परिचितों की मौत की सूचना से विचलित हूं।अब कोरोना का तीसरा लहर का सामना करने की चुनौती है। जन प्रतिनिधियों को तैयारी में सहभागी बनने की न सिर्फ छूट मिलनी चाहिए बल्कि चुनाव क्षेत्रों में तैयारी करने का दायित्व मिलना चाहिए। जिलों के प्रभारी मंत्री और सचिवों को संबंधित जिला में लॉकडाउन में कैंप कर व्यवस्था की मानिटरिंग करनी चाहिए। जैसे मुख्यमंत्री पटना में नित्य समीक्षा कर निर्देश दे रहे हैं उसी तरह जिलों में लागू करने की मानिटरिंग होनी चाहिए। पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद क्या मीडिया द्वारा चिकित्सा व्यवस्था में कमी को उजागर करना भी सरकारी काम में हस्तक्षेप मान कार्रवाई होगी। लॉकडाउन उल्लंघन मामले में फाईन की कार्रवाई हो।लोग नियमों का सख्ती से पालन करें। अनिवार्य रूप से मास्क लगायें और शारीरिक दूरी बनाकर रहें,प्रशासन को इसका व्यापक प्रचार प्रसार करना चाहिए। एसएसपी सड़क पर डंडा मारते दिखें,यह सुशासन में उचित नहीं है।


