रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 22 मई 2021 : बिक्रमगंज(रोहतास)। कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास को पराली प्रबंधन एवं उससे आय संबंधी कार्य करने पर विश्व प्रसिद्ध संस्था एग्रीकल्चर टुडे के द्वारा राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार प्रदान किया गया । यह जूम एवं यूट्यूब के आभासी कार्यक्रम द्वारा संपन्न किया गया । कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान आर के जलज ने पुरस्कार ग्रहण किया । इस कार्यक्रम में बिहार सरकार के कृषि सचिव डॉ एन सरवन उपस्थित थे । उन्होंने अपने संबोधन में जल जीवन हरियाली अंतर्गत जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास द्वारा पराली को बंडल बनाकर बेचने हेतु शाहाबाद दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति आरा से टाइअप करने पर प्रशंसा की । उन्होंने इसे दूसरे जिलों में भी लागू करने का निर्देश दिया है ।
इस कार्यक्रम में उपस्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ आर के सोहाने ने एग्रीकल्चर टुडे ग्रुप एवं जूरी सदस्यों का सम्मान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने राउंड बेलर मशीन जिसके द्वारा खेत में पड़े पराली को इकट्ठा किया गया था । उसे शाहाबाद क्षेत्र के दूसरे कृषि विज्ञान केंद्रों में भी देने का निर्देश दिया । इससे पराली को जलाने से बचाया जा सकेगा । खेत की मृदा स्वास्थ्य बरकरार रखी जाएगी एवं आगे आने वाले समय में फसल उत्पादकता में कमी नहीं होगी। कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास ने जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत दो ग्राम सुरहुरिया एवं जमोढी में पहली बार राउंड बेलर मशीन का प्रयोग कराया था । इस मशीन की मदद से 25 एकड़ क्षेत्रफल के पराली को उठाकर बंडल बनाकर शाहाबाद दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति को बेचा गया था । इस पूरे क्षेत्र में बिना पराली को जलाए हुए किसानों ने खेतों में गेहूं बोया था। कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास द्वारा एक सफल मॉडल किसानों हेतु प्रस्तुत किया गया । जिसमें किसान खेतों में पड़े पराली से भी पैसे कमा सकते हैं। इसी कार्य को सफलतापूर्वक करने हेतु कृषि विज्ञान केंद्र को राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार प्रदान किया गया है । 1 एकड़ क्षेत्रफल में लगभग अट्ठारह ₹1800 राउंड बैलर मशीन चलाने का खर्च आता है एवं 13 से 16 क्विंटल पुआल इकट्ठा होता है। ₹2 प्रति किलोग्राम बेचने पर 2600 से ₹3200 रुपया कुल लाभ कमाया जा सकता है। इकट्ठा किए हुए पराली के बंडलो को पशु चारे के रूप में कुट्टी काटकर इस्तेमाल किया जाता है। बरसात के महीने तक अगर इसे सुरक्षित रखा जाए तो ₹5000 से ₹6000 प्रति क्विंटल पशु चारा कुट्टी बिक सकता है। इससे पराली जलाए जाने वाले प्रदूषण से निजात मिल जाएगी एवं किसानों को पैसों की आमदनी भी होगी।
इस कार्यक्रम में उपस्थित डॉ अनिल झा उपनिदेशक कृषि विभाग बिहार सरकार में कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास को बधाई दी एवं उन्होंने जल्द ही शाहाबाद के अन्य जिलों में इस सफल मॉडल को लागू करने की जानकारी दी। कमफेड, सुधा, पटना के जेनरल मैनेजर राजीव वर्मा ने आगे भी ऐसे पराली बंडल खरीदने हेतु इच्छा जाहिर की। अवार्ड वितरण समारोह में कृषि विज्ञान केंद्र के अन्य वैज्ञानिक डॉ रतन कुमार, डॉ स्नेहा कुमारी एवं अभिषेक कुमार, सुबेष कुमार, प्रवीण पटेल इत्यादि उपस्थित थे।

