
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | मुंबई | Updated: 27 नवंबर 2025: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा आईआईटी बॉम्बे में दिए गए बयान पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे भड़क उठे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री का बयान केवल ‘नाम’ को लेकर की गई टिप्पणी नहीं बल्कि “मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश का हिस्सा” है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था—“अच्छा हुआ कि उन्होंने आईआईटी के नाम में ‘बॉम्बे’ की जगह मुंबई नहीं किया।” बस इसी बात को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा हो गया।
राज ठाकरे का हमला: “यह सरकार की सोच का संकेत”
राज ठाकरे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लंबी पोस्ट कर कहा कि यह बयान केंद्र सरकार की मानसिकता दर्शाता है। उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र और मुंबई को अलग करने की जो कोशिशें दशकों से होती आई हैं, वही सोच आज फिर बाहर आने लगी है।
उन्होंने आरोप लगाया: “मुंबई हमेशा से मराठी लोगों की रही है। इसे महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश को मराठी जनता और नेताओं ने पहले भी नाकाम किया था। अब फिर वही कोशिशें दिखने लगी हैं।”
राज ठाकरे ने कहा कि जितेंद्र सिंह का न मुंबई से, न महाराष्ट्र से, न गुजरात से कोई जुड़ाव है, बल्कि वे सिर्फ “टॉप लीडरशिप को खुश करने के लिए ऐसी बातें बोलते हैं।”
“मुंबई का नाम उन्हें इसलिए चुभता है क्योंकि यह मुंबादेवी से जुड़ा है”
मनसे प्रमुख ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि ‘मुंबई’ नाम केंद्र की नीति निर्धारकों को इसलिए “परेशान करता है” क्योंकि यह मुंबादेवी, यानी शहर की आराध्य देवी के नाम पर रखा गया है। उन्होंने मराठी समुदाय को चेतावनी देते हुए कहा— “अब आंखें खोलने का समय आ गया है। पहले मुंबई, फिर पूरा एमएमआर और फिर गुजरात से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।”
चंडीगढ़ का उदाहरण देकर जताई आशंका
राज ठाकरे ने चंडीगढ़ विवाद का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र ने हाल ही में चंडीगढ़ को पंजाब के नियंत्रण से अलग करने की कोशिश की थी, लेकिन विरोध के बाद पीछे हटना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि मुंबई के मामले में भी “कुछ ऐसा ही 100 प्रतिशत हो रहा है।” उन्होंने कहा— “उन्हें मुंबई नहीं चाहिए, उन्हें बॉम्बे चाहिए। इसके पीछे शहर पर चुपचाप नियंत्रण करने की कोशिश चल रही है।”
“सेंट्रल एजेंट और इंडस्ट्रियलिस्ट कब्जा कर रहे हैं”
राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि केंद्र समर्थित एजेंट और बड़े उद्योगपति मुंबई व एमएमआर क्षेत्र में लगातार प्रभाव बढ़ा रहे हैं और मराठी लोगों के अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है।
उन्होंने लिखा— “मराठी लोगों, जागो! अब वक्त है समझने का कि कैसे बाहरी ताकतें हमारे शहर पर कब्जा करने की कोशिश कर रही हैं।”


