- जातीय जनगणना को लेकर वे 1990 से ही अपनी बातें रखते रहे हैं।
- अलग-अलग जातियों की संख्या की एक बार जानकारी हो जाने से उनको आगे बढ़ाने को लेकर बेहतर काम हो सकेगा
रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 16 अगस्त 2021 : पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज यहां फिर जातीय जनगणना की पुरजोर वकालत की । उन्होंने जोर देकर कहा कि जातीय जनगणना होने से किसी का नुकसान नहीं होगा, सबको फायदा होगा। अलग-अलग जातियों की संख्या की एक बार जानकारी हो जाने से उनको आगे बढ़ाने को लेकर बेहतर काम हो सकेगा। समाज में सभी के विकास और उत्थान के लिए जातीय जनगणना जरुरी है। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के पश्चात् प्रधानमंत्री को जातीय जनगणना के संबंध में लिखे गये पत्र के संबंध में पत्रकारों के पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी को हमने जो पत्र लिखा था, वह उन्हें मिल गया है।
जातीय जनगणना हो, फैसला केंद्र सरकार को लेना है। वर्ष 20 में केंद्र सरकार ने अलग से जातीय जनगणना करायी थी लेकिन उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं किया गया
प्रधानमंत्री कार्यालय से उस पत्र का एक्नॉलेजमेंट भी 13 अगस्त को प्राप्त हो गया है। जबआदरणीय प्रधानमंत्री जी उचित समझेंगे तो मिलने का समय देंगे। जब प्रधानमंत्री से मिलने का समय मिलेगा तो मिलने जायेंगे। प्रधानमंत्री से बातचीत में जो चीजें सामने आयेगी, उसको लेकर आपस में बैठकर सबों से बातचीत की जायेगी। कुछ राज्यों ने पहले भी जातीय जनगणना अपने-अपने राज्यों में किया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जातीय जनगणना हो, फैसला केंद्र सरकार को लेना है। वर्ष 20 में केंद्र सरकार ने अलग से जातीय जनगणना करायी थी लेकिन उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर वे 1990 से ही अपनी बातें रखते रहे हैं। जातीय जनगणना होने से किसी का नुकसान नहीं होगा, सबको फायदा होगा। अलग-अलग जातियों की संख्या की एक बार जानकारी हो जाने से उनको आगे बढ़ाने को लेकर बेहतर काम हो सकेगा।
आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से आगे बढाने की मांग उठने की संभावना को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब
जातीय जनगणना होने के बाद आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से आगे बढाने की मांग उठने की संभावना को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में सभी के विकास और उत्थान के लिए जातीय जनगणना जरुरी है।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाये जाने का समर्थन
प्रधानमंत्री द्वारा अब से हर वर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाये जाने को लेकर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि काफी संघर्ष के बाद इस देश को आजादी मिली। पुरानी पीढ़ी को सब बातें मालूम, नई पीढ़ी को भी इससे जानकारी मिल जायेगी। वे जब बच्चे थे तो उनके स्वतंत्रता सेनानी पिता ने कई बातें उनको बतायी थी। बाद में किताबों में उन्होंने आजादी के लड़ाई के संबंध में पढ़ी थी। आजादी के दौरान कैसे संधर्ष हुआ था ये सब उनको पता है। उन्होंने कहा कि बापू नहीं चाहते थे कि देश का विभाजन हो। यह अच्छा नहीं हुआ कि देश दो हिस्से में बंट गया। देश की आजादी का यह 75वां साल है। सब लोग मिल-जुलकर देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। देश को और आगे बढ़ाना है। देश के पिछड़े इलाके का भी विकास हो रहा है, पिछड़े तबके का भी उत्थान हो रहा है। आपस में प्रेम, भाइचारे और सद्भाव का माहौल बनाये रखना है।
ऐसा कुछ नहीं है कि कोई मतभेद है
जदयू में शक्ति परीक्षण के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब बेकार की बात है। ऐसी कोई बात नहीं है। कोई पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना तो उनका स्वागत किया गया।उसी तरह कोई केन्द्र में मंत्री बना है तो पार्टी के लोग उनका स्वागत कर रहे हैं। किसी कोसम्मान मिला तो लोग उनकी इज्जत कर रहे हैं, किसी को जिम्मेवारी मिली है तो उनकी इज्जत कर रहे हैं। ऐसा कुछ नहीं है कि कोई मतभेद है। हम पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे उसके बाद श्री आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाया गया। जब श्री आरसीपी सिंह केंद्रमें मंत्री बन गये तो वही बोले कि ललन जी अब अध्यक्ष का पद संभाले।
ओबीसी संशोधन बिल पारित कराये जाने का स्वागत
केन्द्र सरकार द्वारा ओबीसी संशोधन बिल पारित कराये जाने के संबंध में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले से ही राज्यों को यह अधिकार था कि वो ओबीसी के संबंध में निर्णय लेंगे। हमलोगों के राज्य में जननायक कर्पूरी ठाकुर जीके समय में ईबीसी बना, अति पिछड़ा वर्ग बना। अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग स्थिति है। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद फिर से सभी राज्यों को यह अधिकार मिल गया है। बिहार में जब वर्ष 2005 में हमलोगों को काम करने का मौका मिला तो हमने कई वैसी जातियां जो पहले पिछड़े वर्ग में थी उनको हमलोगों ने अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केन्द्र सरकार ने राज्यों को एक बार फिर से यह अधिकार दिया है। पहले से ही राज्यों को यह अधिकार था, बीच में इस पर रोक लग गयी थी। अब फिर से केन्द्र सरकार ने अधिकार दे दिया है, इसके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं।