
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | पुरी (ओडिशा) | Updated: 16 दिसंबर 2025: चारधामों में शामिल भगवान जगन्नाथ पुरी मंदिर न सिर्फ अपनी भव्य रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके चार पवित्र द्वार भी आध्यात्मिक रहस्यों से जुड़े माने जाते हैं। मान्यता है कि मंदिर का हर द्वार जीवन के एक अलग उद्देश्य और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।
पुरी स्थित यह प्राचीन मंदिर कलिंग वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है और इसके चारों दिशाओं में बने द्वार—पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण—मानव जीवन के चार मूल स्तंभों को दर्शाते हैं।
सिंह द्वार (पूर्व द्वार) – मोक्ष का मार्ग
मंदिर का मुख्य द्वार सिंह द्वार कहलाता है। यह द्वार मोक्ष यानी जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु इसी द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से दर्शन करने से आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अश्व द्वार (दक्षिण द्वार) – विजय और साहस
दक्षिण दिशा में स्थित अश्व द्वार को विजय और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इस द्वार से प्रवेश करने वाले भक्तों को जीवन के संघर्षों में सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
व्याघ्र द्वार (पश्चिम द्वार) – समृद्धि और ऐश्वर्य
पश्चिम दिशा का व्याघ्र द्वार धन, समृद्धि और भौतिक सुखों का संकेत देता है। व्यापार, आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख की कामना करने वाले श्रद्धालु इस द्वार से पूजा-अर्चना करते हैं।
हस्ति द्वार (उत्तर द्वार) – धर्म और ज्ञान
उत्तर दिशा में स्थित हस्ति द्वार को धर्म, ज्ञान और सदाचार का द्वार माना जाता है। यह द्वार जीवन में सही मार्ग और नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करता है।
आध्यात्मिक संतुलन का प्रतीक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ पुरी मंदिर के ये चारों द्वार मिलकर मानव जीवन के चार पुरुषार्थ—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन का केंद्र माना जाता है।
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इन चारों द्वारों के रहस्य को समझकर दर्शन करने से जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।


