By Rohtas Darshan Digital Desk | Updated: October 30, 2025 | New Delhi : इन्वेस्टिगेटिव मीडिया पोर्टल कोबरापोस्ट ने गुरुवार को देश की कॉर्पोरेट और बैंकिंग व्यवस्था को हिलाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी (ADA) ग्रुप ने 2006 से अब तक ₹28,874 करोड़ रुपए से अधिक का वित्तीय फ्रॉड किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह राशि बैंक लोन, आईपीओ, बॉन्ड्स और विदेशी निवेशों के जरिए जुटाई गई थी, जिन्हें बाद में कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये विभिन्न चैनलों से ट्रांसफर किया गया।

कोबरापोस्ट की जांच में क्या दावा किया गया है?

कोबरापोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार —“ADA ग्रुप ने विदेशों में जुटाए गए 1,535 मिलियन डॉलर (करीब ₹13,047 करोड़) की रकम को फर्जी लेनदेन के जरिए भारत में लाया और फिर गायब कर दिया।”

इस रकम में 750 मिलियन डॉलर की वह राशि भी शामिल है जिसे NextGen Capital ने Reliance Innoventures के साथ एक अस्थायी समझौते के तहत सिंगापुर की कंपनी Emerging Market Investments and Trading Pvt. (EMITS) को ट्रांसफर किया था।

कोबरापोस्ट का आरोप है कि —“पूरी रकम भारत लाने के बाद गायब कर दी गई, जो मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आ सकती है।”

कानूनी उल्लंघन के भी आरोप

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ADA समूह और उसके शीर्ष अधिकारियों ने कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है, जिनमें शामिल हैं —

•             कंपनी अधिनियम, 2013

•             विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA)

•             धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA)

•             सेबी अधिनियम, 1992

•             आयकर अधिनियम, 1961

कोबरापोस्ट के अनुसार, विभिन्न सरकारी एजेंसियों जैसे कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (MCA), सेबी, NCLT और RBI के दस्तावेज़ों और आदेशों के आधार पर यह विश्लेषण किया गया है।

रिलायंस एडीए ग्रुप का जवाब

अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस एडीए ग्रुप ने कोबरापोस्ट के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

कंपनी ने अपने बयान में कहा —

“यह रिपोर्ट एक दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा संचालित अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है।”

ग्रुप ने यह भी दावा किया कि —

“कोबरापोस्ट 2019 से निष्क्रिय था और उसका पुनरुद्धार उन संस्थाओं द्वारा फंड किया जा रहा है जिनकी रिलायंस की संपत्ति पर व्यावसायिक रुचि है।”

राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सरकार से जांच की मांग की है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि अगर रिपोर्ट में दिए गए दस्तावेज़ प्रमाणिक हैं तो ED, CBI और SEBI को तुरंत स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।

वहीं भाजपा सूत्रों ने कहा कि “यह मामला न्यायिक जांच के योग्य है, लेकिन पहले तथ्यों की पुष्टि जरूरी है।”

फ्रॉड की कथित राशि कितनी बड़ी है?

कोबरापोस्ट के अनुसार —

•             विदेशी स्रोतों से लाए गए फंड: USD 1,535 मिलियन

•             भारतीय मुद्रा में कुल मूल्य: ₹13,047.50 करोड़

•             घरेलू बैंकिंग सिस्टम में हेरफेर की राशि: ₹28,874 करोड़

•             कुल अनुमानित वित्तीय गड़बड़ी: ₹41,921.57 करोड़

राजनीतिक एंगल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब 2025 के बिहार और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव करीब हैं और केंद्र सरकार पर कॉर्पोरेट पारदर्शिता को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है।

यह मामला आने वाले हफ्तों में संसद और चुनावी मंचों दोनों पर बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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