सासाराम : सरकार ने बच्चें, गर्भवती महिलाऐं की बेहतर स्वास्थ व पोषायुक्त आहार देने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार योजना चला रखी है लेकिन, वर्तमान समय में जिले में बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने की योजना दम तोड़ रही है। या यूं कहें बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने की योजना ही कुपोषित हो गई है। हालांकि, शुरू में यह  योजना आंगनबाड़ी केन्द्रों के नौनिहालों व गर्भवती महिलाओं को कारगार साबित हुई। उन्हें तंगी रहने के बावजूद पोषाहार मिल जाती थी। लेकिन, बाद में यह योजना अधिकांश जगहों पर लूट-खसोट के चंगुल में फंस गया. फिर, सरकार ने पोषाहार को लेकर नियम में कई बदलाव कर लागु किए, ताकि इस योजना में लूट खमोट व कालाबाजारी पर रोक लगे एवं लाभार्थियों को कुपोषण से बचने के लिए पोषायुक्त आहार मिल सके। पर नयी नियम में यह योजना लाभार्थियों के लिए और सिर दर्द हो गया।

नये सिस्टम के तहत भी आंगनबाड़ी केन्द्रों के नौनिहालों व अन्य लाभार्थियों को पोषाहार की राशि वितरण की जमीनी हकिकत कुछ और ही ब्यां कर रही है। जिले के लगभग एक लाख से अधिक आंगनबाड़ी के लाभार्थियों (नौनिहालों व गर्भवती महिलाओं) को अब तक पोषाहार की राशि नहीं मिली है। जिसके  कारण लाभार्थियों को पोषाहार के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विभाग के अनुसार जिले के करीब 21 हजार लाभार्थियों के खाते में पोषाहार की भेजी जा चुकी हैं, जबकि 1.39 लाख लाभार्थियों को अब तक पोषाहार की राशि प्राप्त नहीं हुई है।


इस संबंध में डीपीओ ने बताया कि जिले में करीब तीन लाख से अधिक आंगनबाड़ी के लाभार्थियों को पोषाहार की जरूरत है लेकिन, सरकार करीब इसके आधे करीब 1.60 लाख लाभार्थियों को पोषाहार की राशि वितरण करने के लिए मजूरी व टोकन वेरिफाई की है। सरकार द्वारा जिले में करीब 1.60 लाख लाभार्थियों को पोषाहार की राशि वितरण के लिए की टोकन वेरीफाई में से करीब जिले के 21 हजार से अधिक लाभार्थियों को पोषाहार की दी जा चुकी है। शेष लाभार्थियों को राशि भेजने की प्रक्रिया चल रही है।

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