By Rohtas Darshan Digital Desk | Updated: October 23, 2025 | Moradabad, Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मदरसे में 13 वर्षीय छात्रा से एडमिशन के लिए ‘वर्जिनिटी सर्टिफिकेट’ (कौमार्य प्रमाणपत्र) मांगे जाने का आरोप लगा है।

मामला पाकबड़ा थाना क्षेत्र के जामिया असानुल बनात गर्ल्स कॉलेज (मदरसा) से जुड़ा है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इस गंभीर प्रकरण की जांच शुरू कर दी है।

पिता की शिकायत पर हंगामा, पुलिस जांच में जुटी

चंडीगढ़ निवासी मोहम्मद यूसुफ ने एसएसपी मुरादाबाद को दी शिकायत में बताया कि उनकी बेटी पिछले साल इसी मदरसे में 7वीं कक्षा में पढ़ रही थी।

अब जब वह उसे 8वीं कक्षा में दाखिला दिलाने गए, तो मदरसा प्रबंधन ने प्रवेश के लिए “वर्जिनिटी टेस्ट रिपोर्ट” की मांग कर दी।

पीड़ित पिता के अनुसार, “यह मांग हमारी बेटी के चरित्र पर सवाल उठाने और अपमानित करने का प्रयास है। जब हमने इसका विरोध किया, तो मदरसा प्रबंधन ने न केवल अभद्रता की, बल्कि हमें परिसर से बाहर निकाल दिया।”

टीसी फॉर्म पर ‘मेडिकल टेस्ट’ का उल्लेख, पुलिस को सौंपे सबूत

परिवार ने पुलिस को एक कथित टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) फॉर्मेट भी सौंपा है, जिसमें “मेडिकल टेस्ट कराने की बात” लिखी होने का दावा किया गया है।

परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने इस अनुचित मांग को अस्वीकार किया, तो प्रबंधन ने धमकी दी —

“अगर वर्जिनिटी सर्टिफिकेट नहीं ला सकते, तो अपनी बेटी की टीसी निकलवा लें।”

पुलिस का बयान: जांच जारी, दोषियों पर होगी कार्रवाई

एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह ने बताया,

“चंडीगढ़ निवासी व्यक्ति की शिकायत मिली है कि मदरसा प्रबंधन ने उनकी बेटी के चरित्र पर अनुचित टिप्पणी की और दाखिले के लिए अनुचित दस्तावेज मांगे।

आवेदन को औपचारिक रूप से जांच के लिए भेजा गया है। साक्ष्य के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”

फिलहाल पुलिस ने संबंधित मदरसे से प्रवेश प्रक्रिया और दस्तावेजों से जुड़ी जानकारी मांगी है।

मदरसा प्रबंधन की चुप्पी, शिक्षा विभाग भी सतर्क

मदरसा प्रबंधन की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

हालांकि, शिक्षा विभाग ने कहा है कि अगर आरोप सही पाए गए, तो मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई हो सकती है।

मदरसे में बेटियों की शिक्षा पर उठे गंभीर सवाल

यह मामला न केवल शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता, बल्कि छात्राओं की गरिमा और अधिकारों को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसी संस्था ने इस तरह का दस्तावेज मांगा है, तो यह बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO), महिला उत्पीड़न, और शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) की कई धाराओं के तहत गंभीर अपराध माना जाएगा।

राजनीतिक प्रतिक्रिया की आहट

मामले ने अब राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है।

स्थानीय विपक्षी नेताओं ने कहा है कि “बेटियों के सम्मान से जुड़ा मामला है, सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”

वहीं, सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा —

“राज्य सरकार बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को लेकर शून्य सहिष्णुता की नीति पर काम कर रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”

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