आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 25 नवम्बर 2022 : पटना। एक ऐसे समय में जब बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की मूर्तियां तोड़ी जा रही हो, संसद भवन में संविधान जलाया जा रहा हो, भारतीय संविधान और उसके निर्माता आंबेडकर की चर्चा करना बहुत जरूरी और आवश्यक कार्यभार है। आज आपके सामने यह चंद्रशेखर इसलिये है कि बाबा साहब का दिया संविधान है। उक्त बातें बिहार के माननीय शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कही। मौका था संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘‘वंचित समुदायों तक लोकतंत्र की दस्तक और संविधान’’ विषयक परिचर्चा का। इस परिचर्चा में शिक्षा मंत्री के अलावा बिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी, बिहार विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस, बिहार विधान सभा सदस्य ई. ललन कुमार, श्री गोपाल रविदास, श्रीमती प्रतिमा कुमारी एवं चाणक्य नेशनल लॉ विश्वविद्यालय, पटना के प्रो. एस.पी. सिंह ने भी संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक श्री नरेन्द्र पाठक ने किया और संचालन पत्रकार ध्रुव कुमार ने। इस मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने मंच पर उपस्थित वक्ताओं को संविधान पुस्तक की प्रतियां भेंट की गई।

माननीय शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि समाज में जातीय विषमता की मुखालफत करने वाले आंबेडकर से लेकर लालू प्रसाद तक को लगातार खलनायक सिद्ध किया जाता रहा है। उन्होंने मनुस्मृति, रामचरितमानस आदि गं्रथों में उल्लिखित असमानता से जुड़े कई सारे प्रसंगों की चर्चा की। आंबेडकर को कोट करते हुये उन्होंने कहा कि शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो पियेगा दहाड़ेगा।

संस्थान के निदेशक श्री नरेन्द्र पाठक ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया का उल्लेख किया। इसी क्रम में उन्होंने बिहार में 1930 से लेकर लंबे समय तक चलने वाले विभिन्न आंदोलनों का जिक्र किया। डॉ. आंबेडकर की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि वे समानता, समाजवाद और संप्रभुता के प्रतीक रहे हैं।

विषय प्रवेश करते हुये चाणक्य नेशनल लॉ विश्वविद्यालय, पटना के प्रो. एस.पी. सिंह ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संसदीय व्यवस्था को हमने चुना, क्योंकि इसमें उत्तरदायित्व की भावना है।

बिहार विधानसभा सदस्य एवं इंडियन डेमोक्रेटिक यूनियन के संयोजक ई. ललन कुमार ने कहा कि हमारे यहां सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक संस्थाओं पर कुछ खास जातियों का कब्जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो सम्मान अडाणी, अंबानी को है वह सब्जी वाले के लियेे नहीं है। इसी तरह जो सम्मान शंकराचार्यों और इमामों को हासिल है, वह आम लोगों को नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आंबेडकर के विचार को जब तक प्रसारित नहीं किया जायेगा, इन संस्थाओं से द्विज जातियों का प्रभाव कम नहीं होगा।

बिहार विधानसभा सदस्य श्री गोपाल रविदास ने कहा कि जिस बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने लोकतंत्र को आत्मा दिया, आज वह संविधान खतरे में है। आज बोलने पर पाबंदी है। सही आवाज उठाने वाले को टुकड़े-टुकड़े गैंग कहा जा रहा है। बिहार विधान सभा का अनुभव साझा करते हुये उन्होंने कहा कि विधान मंडल के अंदर उन्होंने बाबा साहब भीमराम आंबेडकर की मूर्ति बनाने की बात उठायी थी लेकिन हमारा यह प्रस्ताव निरस्त हो गया, एक भी नेता सपोर्ट में नहीं आये। ई.डब्ल्यू.एस. की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि माले को छोड़कर किसी दल ने इसका विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि संविधान की प्रतियां जलायी जा रही है और ऐसे तत्वों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

बिहार विधान परिषद सदस्य प्रो. गुलाम गौस ने कहा कि मुसलामनों के अंदर जाति का भेदभाव बहुत गहरे मौजूद है। बाबा साहब भीम राव आंबेडकर नहीं होते तो पिछड़े मुसलमानों को भी हक नहीं मिलता। उन्होंने उसके दर्द को समझा था। आरक्षण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर न्यायपालिका की नियत भी साफ नहीं है। आरक्षण की धार को लगातार भोथरा किया जा रहा है। न्यायपालिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां चपरासी के लिये भी परीक्षा देनी पड़ती है, लेकिन जज बनने के लिए कोई परीक्षा नहीं होती। 65 परिवारों का ही एक समूह ही सुप्रीम कोर्ट के जज बनते रहे हैं। उन्होंने कहा कि काका कालेलकर, मुंगेरी लाल, कर्पूरी ठाकुर और बी.पी. सिंह जैसे नेताओं ने बाबा साहब भीमराव आंबडेकर के विचारों को आगे बढ़ाया।

बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी ने सवाल उठाया कि आप किस लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, किस वोट के अधिकार की बात कर रहे हैं, जहां अधिकार ही छीना जा रहा हो। गुजरात में नॉमिनेशन नहीं करने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के कानून और आरक्षण को आज डॉइल्यूट करने की कोशिश की जा रही है। संविधान को बच्चों के पाठ्यक्रम से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने दुनियाभर के संविधान को सामने रखकर भारतीय संविधान की बुनियाद रखी थी। लेकिन आज यह संविधान लोगों को पच नहीं रहा है।

बिहार विधानसभा सदस्य श्रीमती प्रतिमा कुमारी ने कहा कि समाज में अभी भी जातीय विषमता की जड़ें जमीं हुई है। कदम-कदम पर दलित समाज के लोग प्रताड़ित किये जा रहे हैं। उनको जो सम्मान मिलना चाहिये था, सरकारी योजनाओं का जो लाभ उन्हें मिलना था, जातीय विभेद के कारण नहीं मिला। उन्होंने कहा कि समाज में महिला उत्पीड़न का तीव्र विरोध होता है लेकिन दलित महिला उत्पीड़न अब भी सुर्खियां नहीं पाता। जब तक समाज के दलित वर्गों को मान-सम्मान और बराबरी का हक नहीं मिलेगा, तब तक संविधान सही रूप में कार्यान्वित नहीं माना जायेगा।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस अवसर पर पद्मश्री सुधा वर्गीज, जगनारायण सिंह यादव, वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु, वरिष्ठ पत्रकार प्रणव चौधरी, जनकवि रवींद्र भारती, संजीव चंदन, लारेव अकरम, इरफान अहमद फातमी, वीरेन्द्र यादव आदि लेखक-पत्रकार और चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी के अंतिम वर्ष के बहुतेरे छात्र भी उपस्थित रहे।

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