
रिपोर्ट: Rohtas Darshan चुनाव डेस्क | कोटा | Updated: 11 नवंबर 2025: राजस्थान के कोटा शिक्षा विभाग की ओर से जारी एक अनूठे आदेश ने सोशल मीडिया पर खूब हलचल मचा दी है।
अब जिले के सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए नि:शुल्क हेयर कटिंग और नाखून कटिंग कैंप लगाए जाएंगे।
यह आदेश शिक्षा विभाग द्वारा बृजेश कुमार सेन के “श्री कृष्णा सेलून (एसकेएस)” की पहल पर जारी किया गया है।
“श्री कृष्णा सेलून” करेगा आयोजन, शिक्षा विभाग ने दी अनुमति
दरअसल, बालीता रोड स्थित श्री कृष्णा सेलून के संचालक बृजेश कुमार सेन ने जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्ताव भेजा था कि उनकी संस्था गरीब बच्चों के लिए मुफ्त बाल और नाखून कटिंग कैंप आयोजित करना चाहती है, ताकि बच्चों में स्वच्छता की जागरूकता बढ़ सके। शिक्षा विभाग ने इस प्रस्ताव को “सकारात्मक सामाजिक पहल” मानते हुए तुरंत मंजूरी दे दी।
टीचर की मौजूदगी अनिवार्य, बच्चियों के लिए महिला कार्मिक ज़रूरी
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इन कैंप्स के दौरान एक शिक्षक की उपस्थिति अनिवार्य होगी। साथ ही, यदि बालिकाओं के बाल या नाखून काटे जा रहे हों, तो उनके लिए महिला स्टाफ की मौजूदगी भी ज़रूरी होगी। इस व्यवस्था का उद्देश्य सुरक्षा और संवेदनशीलता दोनों को ध्यान में रखना बताया गया है।
“बालिकाओं की हेयर कटिंग और नाखून कटिंग के दौरान महिला कार्मिक और एक शिक्षक की उपस्थिति अनिवार्य होगी।” — आदेश की प्रति में उल्लेख।
“स्वच्छता अभियान” का नया संस्करण
जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय-माध्यमिक) ने इस पहल को स्वच्छता अभियान का नया रूप बताया है। उन्होंने कहा कि इस पहल से बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्व सिखाया जा सकेगा और गरीब विद्यार्थियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
लोगों में चर्चा – “शिक्षा विभाग या सैलून विभाग?”
जैसे ही आदेश की प्रति सोशल मीडिया पर वायरल हुई, लोगों ने इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दीं। कई अभिभावकों ने इसे बच्चों की सफाई और स्वास्थ्य के लिए सराहनीय कदम बताया, वहीं कुछ शिक्षकों ने इसे लेकर मजाक भी उड़ाया।
एक यूजर ने लिखा — “अब स्कूल में बाल भी कटेंगे, नाखून भी, वो भी सरकारी आदेश से! अगला आदेश फेस वॉश का होगा क्या?” जबकि कुछ लोगों ने कहा कि यह कदम शिक्षा विभाग की समाजसेवा की दिशा में नई सोच को दर्शाता है।
जिला शिक्षा अधिकारी का बयान
“हमारा मकसद बच्चों को स्वच्छता और आत्म-संवर्धन की ओर प्रेरित करना है। यह पहल पूरी तरह स्वैच्छिक है, किसी पर दबाव नहीं होगा।” — जिला शिक्षा अधिकारी, कोटा।



