
By Rohtas Darshan Digital Desk | Updated: October 30, 2025 | Mumbai : देश की आर्थिक राजधानी में साइबर ठगों ने अपराध और अंडरवर्ल्ड के नाम पर एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी से ₹71 लाख 24 हजार रुपए की ठगी कर ली। इस हाई-प्रोफाइल फ्रॉड में ठगों ने खुद को नाशिक पुलिस का अधिकारी बताते हुए अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का नाम इस्तेमाल किया, जिससे पीड़ित डर के मारे ठगों के जाल में फंस गया।
ठगों ने कैसे रचा प्लान?
मुंबई पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, रिटायर्ड अधिकारी को 23 सितंबर से 15 अक्टूबर 2025 के बीच कई कॉल्स और वीडियो कॉल्स आए। कॉल करने वालों ने खुद को नाशिक पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि
“आपके बैंक अकाउंट में जो रकम आई है, वह अबू सलेम से जुड़ी फिरौती और स्टॉक फ्रॉड के पैसों का हिस्सा है।”
ठगों ने पीड़ित को डराया कि यह मामला मुंबई पुलिस की “10 मोस्ट वांटेड क्रिमिनल्स लिस्ट” से जुड़ा है, और जांच में सहयोग न करने पर उन्हें अंडरवर्ल्ड लिंक केस में फंसा दिया जाएगा।
फर्जी गिरफ्तारी वारंट और सुप्रीम कोर्ट का नाम
पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए ठगों ने उन्हें
• सुप्रीम कोर्ट के फर्जी गिरफ्तारी ऑर्डर,
• 10 वांटेड अपराधियों की तस्वीरों वाला दस्तावेज,
• और पुलिस लेटरहेड वाले ईमेल्स भेजे।
इन सभी दस्तावेज़ों ने पीड़ित को पूरी तरह भ्रमित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने डर के मारे 71 लाख रुपए अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।
फ्रॉड का एहसास और शिकायत
जब अधिकारी को शक हुआ कि वे किसी साजिश का शिकार हुए हैं, तब उन्होंने तुरंत पूर्व प्रादेशिक साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
फिलहाल, मुंबई साइबर सेल ने अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और साइबर अपराध की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
पुलिस अब उन खातों और डिजिटल ट्रांजेक्शन की ट्रेसिंग कर रही है जिनमें यह रकम ट्रांसफर की गई थी।
पुलिस क्या कह रही है
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“ठगों ने बेहद सुनियोजित तरीके से सरकारी दस्तावेज़ों और अदालत के नाम का दुरुपयोग किया। अबू सलेम जैसे नाम का इस्तेमाल पीड़ित को डराने के लिए किया गया था। साइबर टीम इस मामले में इंटर-स्टेट नेटवर्क की जांच कर रही है।”
पिछले 6 महीनों में बढ़े साइबर फ्रॉड के केस
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, मुंबई में बीते छह महीनों में
• 1,800 से अधिक साइबर फ्रॉड केस दर्ज हुए हैं,
• जिनमें से 200 से ज्यादा मामलों में सरकारी अधिकारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों को निशाना बनाया गया।
साइबर अपराधी अब वीडियो कॉल और एआई-जनरेटेड वॉयस का भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे पीड़ित को यह यकीन हो जाता है कि कॉल करने वाला वाकई सरकारी अधिकारी है।


