आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 22 फरवरी 2024 : परसथुआं : रोहतास के परसथुआं में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति के बाद की औपचारिकताओं को संपन्न कर आयोजन समिति एवं हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों ने पूज्य गुरुदेव श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी की विदायी की। परम परिव्राजक संत स्वामी जी के साथ प्रयागराज पीठाधीश्वर रंगनाथ स्वामी, परमप्रिय शिष्य जगदगुरू रामानुजाचार्य श्रीअयोध्यानाथ स्वामी एवं जगदगुरू रामानुजाचार्य श्रीवैकुण्ठनाथ स्वामी जी थे। स्वामी जी की विदायी की सूचना पर सुबह से हीं संतों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो गयी थी। सभी चर्चा कर रहे थे कि ऐसा यज्ञ कभी नहीं देखा जिसमें अपने आप इतना अनुशासन और आत्मनियंत्रण रहा कि कोई नकारात्मक घटना हुई और न हीं विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई। छह दिनों तक चले महायज्ञ में उमड़ी लाखों की भीड़ शांत अनुशासित रहकर धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर रही थी। वे कह रहे थे कि लगता था कि गुप्तेश्वर महादेव स्वयं अपने प्रिय नारायण के यज्ञ की व्यवस्था का नियंत्रण संभाल लिया हो और सुनिश्चित कर दिया हो कि श्रीमन्नारायण का महायज्ञ निर्विघ्न संपन्न हो। श्रद्धालु अधिवक्ता लक्ष्मीकांत तिवारी ने कहा कि ऐसा लगा कि प्रकृति माता भी वातावरण को सौम्य बनाए रखकर धर्म और ज्ञान के प्रवाह को रक्षित कर रही हैं एवं भक्तों को उल्लसित। आयोजन समिति अध्यक्ष मंजीव मिश्र कह रहे थे भगवती महालक्ष्मी एवं माता अन्नपूर्णा की साक्षात कृपा सर्वत्र दिखायी पड़ रही थी, यह सब पूज्य स्वामी जी कै तप का प्रभाव था।
आयोजन समिति अध्यक्ष मंजीव जी, सचिव मुखिया जय शंकर प्रसाद, कोषाध्यक्ष राहुल कुमार मिश्र, रोहन गुप्ता, कार्यालय प्रभारी अनिल उपाध्याय, अवध नारायण उपाध्याय, सीताराम दूबे, धनजीव मिश्र, रमाकांत राय लंकेश आदि के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने पूज्य स्वामी जी को भावपूर्ण विदायी दी। विदायी वेला में सभी लोग भावाकुल हो उठे। संत, भक्त हों या वहां उपस्थित प्रशासन और पुलिस के लोग सभी भावविह्वल थे। जय जय श्रीमन्नारायण और स्वामी जी महाराज की जय के गगनभेदी घोष करते लोग हिचकियाँ ले रहे थे। वीतरागी संत बस मंद मंद मुसकाते और सबको आशीषित करते, अभय मुद्रा में हाथ उठाए धीरे धीरे बढ़ते चले गए। पूज्य स्वामी जी बार बार लोगों को पीछे लौटने घर जाने और भगवान श्रीमन्नारायण का स्मरण, जप करते रहने को कहते आंखों से ओझल हो गए।
स्वामी जी कै निर्देशानुसार यज्ञ समिति ने जरूरत मंदों कै बीच एक हजार कंबल, वस्त्र, काफी मात्रा में खाद्यान्न, धन एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों का वितरण किया।