
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 29 अप्रैल 2023 : भगवान कृष्ण ने उद्धव जी से कहा कि मेरी चार जगह शक्ति रहेगी। मेरा स्वरूप श्रीमद्भागवत ग्रन्थ में रहेगी। मेरा स्वरूप बद्रीनारायण में रहेगी। मेरा स्वरूप मेरा जहां धाम रहेगा वहां रहेगा। मेरा स्वरूप भक्तों के हृदय में वास करेगी। मेरा स्वरूप जहां जहां मेरी कथा होगी वहां रहेगी।
श्री लक्ष्मी जी के बेर के वृक्ष के रूप में छाया देने से नाम पड़ा बद्रीनारायण।

बद्रीनारायण का मतलब होता है भगवान के अनेक अवतारों में भगवान एक अवतार यह हुआ कि तपस्वी जीवन जी करके भी हम जगत् का कल्याण करें। राजन्या अवतार, ऋषि का अवतार, विप्र का अवतार, मत्स्यावतार, कुर्मावतार, इस अवतार को लेकर मैने जगत् का उद्धार किया। लेकिन तपस्वी का अवतार लेकर भी जगत् का उद्धार करना चाहिए। ऐसा विचार कर भगवान श्रीमन्नारायण अपने ही स्वरूप से अपने स्वयं नारायण बन गए और अपने भक्त को अपने आप नर बना दिए। दोनों
नर तथा नारायण दोनों जब तपस्या करने लगे तब लक्ष्मी जी ने हिमालय पर बेर के वृक्ष के रूप में भगवान श्रीमन्नारायण को छाया देने लगी। इस प्रकार भगवान का नाम पड़ा बद्रीनारायण।

बडा आदमी अपने को कभी अपना बड़प्पन नही बताता है।
बडा आदमी जो होता है वह अपने को कभी परिचय देकर बड़प्पन में नही बताता है। उसका कृतित्व, उसका व्यवहार, उसका आचरण ही समाज के लिए बड़प्पन का कारण बनता है। उसको बड़ा बनाता है। अपने से नही बनता है।
