बिहार विधान परिषद् के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर का हुआ उद्बोधन

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 11 जनवरी 2023 : 83 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का उद्घाटन आज दिनांक- 11.01.2023 को  जयपुर में महामहिम उप राष्ट्रपति सह अध्यक्ष, राज्यसभा श्री जगदीप धनखड़ द्वारा किया गया। हुआ। उद्घाटन के बाद विभिन्न विषयों पर  विमर्श सत्र में बिहार विधान परिषद् के माननीय सभापति श्री देवेश चंद्र ठाकुर द्वारा  संविधान की भावना के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता  विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किया गया। विमर्श सत्र के तीसरे वक्ता के रूप में अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत की संवैधानिक प्रावधान में इसकी सुस्पष्ट व्यवस्था की गई है कि विधायिका और  न्यायपालिका अपने अपने अधिकारों का जनता के हित में सदुपयोग करते हुए अपनी अपनी दूसरे की पवित्रता और सीमा को अक्षुण्ण रखें। संविधान के दोनों अंगो का कार्य एक दूसरे के पूरक हैं विधायिका जन आकंक्षाओं की पूर्ति के लिए आवश्यक कानून का निर्माण करती है। न्यायपालिका इसको सबल प्रदान करती है।                       

अतः हमें संविधान की भावना, सीमा और जन आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे का सम्मान करते हुए पूरक भूमिका में कार्य करना ही सर्वोत्तम होगा। इस सम्मेलन में लोकसभा के अध्यक्ष माननीय ओम बिरला, राज्यसभा के उपाध्यक्ष माननीय श्री हरिवंश जी, राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, राजस्थान विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री सी० पी० जोशी सहित देश के सभी विधान सभा के अध्यक्ष,  उपाध्यक्ष विधान परिषद् के सभापति एवं उपसभापति भाग ले रहें हैं। बिहार से विधान सभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष  सहित बिहार विधान परिषद् के उप सभापति श्री रामचंद्र पूर्वे भी भाग ले रहें ha83 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का उद्घाटन आज दिनांक- 11.01.2023 को  जयपुर में महामहिम उप राष्ट्रपति सह अध्यक्ष, राज्यसभा श्री जगदीप धनखड़ द्वारा किया गया। हुआ। उद्घाटन के बाद विभिन्न विषयों पर  विमर्श सत्र में बिहार विधान परिषद् के माननीय सभापति श्री देवेश चंद्र ठाकुर द्वारा ” संविधान की भावना के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता ” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किया गया। विमर्श सत्र के तीसरे वक्ता के रूप में अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत की संवैधानिक प्रावधान में इसकी सुस्पष्ट व्यवस्था की गई है कि विधायिका और  न्यायपालिका अपने अपने अधिकारों का जनता के हित में सदुपयोग करते हुए अपनी अपनी दूसरे की पवित्रता और सीमा को अक्षुण्ण रखें। संविधान के दोनों अंगो का कार्य एक दूसरे के पूरक हैं विधायिका जन आकंक्षाओं की पूर्ति के लिए आवश्यक कानून का निर्माण करती है। न्यायपालिका इसको सबल प्रदान करती है।                       

अतः हमें संविधान की भावना, सीमा और जन आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे का सम्मान करते हुए पूरक भूमिका में कार्य करना ही सर्वोत्तम होगा। इस सम्मेलन में लोकसभा के अध्यक्ष माननीय ओम बिरला, राज्यसभा के उपाध्यक्ष माननीय श्री हरिवंश जी, राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, राजस्थान विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री सी० पी० जोशी सहित देश के सभी विधान सभा के अध्यक्ष,  उपाध्यक्ष विधान परिषद् के सभापति एवं उपसभापति भाग ले रहें हैं। बिहार से विधान सभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष  सहित बिहार विधान परिषद् के उप सभापति श्री रामचंद्र पूर्वे भी भाग ले रहें हैं

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