आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 18 मई 2022 : मुंबई । निर्दलीय सांसद नवनीत राणा हाल ही में काफी चर्चा में थीं। जिस तरह से उन्होंने मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया था, उसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चुनौती दी है। उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे पर राणा ने कहा कि बहुत मेहनत करके खून का पानी पिया है मैंने, बहुत मेहनत करके यहां पहुंची हूं, ऐसे में बिना अपराध के आपको जेल में भेजा जाता है तो यह बर्दाश्त नहीं है। हनुमान चालीसा के लिए मुझे जेल में डाला, यह सत्ता का दुरुपयोग है। आने वाले समय में जब सत्ता जाएगी और अगर रश्मि ठाकरे, रश्मि भाभी जी को जेल में डाला गया तो मैं पूछूंगी की कैसा लगता है।
6 घंटे रखा गया जेल में
राणा ने कहा कि जब मुझे और मेरे पति को जेल ले जाया गया तो हमसे कहा गया कि आपकी जमानत की प्रक्रिया चल रही है, उस वक्त हमे चाय और पानी दिया गया। 6 बजे के बाद किसी भी महिला को पुलिस स्टेशन में बैठा नहीं सकते हैं, लेकिन 12 बजे तक हमे बैठाया। फिर हमारे ऊपर राजद्रोह का केस लगाया गया। मुझे रात में 6 घंटे जेल में रखा गया। मुझे चटाई तक नहीं दिया गया। मैंने कहा कि जेल के भीतर का मेरा वीडियो दिया जाए।
फड़णवीस की तारीफ
कौन असली और कौन नकली हिंदू है यह शिवसेना नहीं बताएगी, उनके सर्टिफिकेट की जरूरी नहीं है। निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने कहा कि हिंदू स्थान में रहने वाला हर एक व्यक्ति हिंदू है, मुझे खुशी है कि भाजपा हिंदुत्व के एजेंडा पर चल रही है। जो लोग मंदिर जाते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि वह भाजपा से जुड़े हैं। देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए राणा ने कहा कि पांच साल उन्होंने विकास की राजनीति की,बेरोजगारों को रोजगार देने का काम किया। किसानों के हाथ मजबूत किए।
इन मुद्दों पर जारी रहेगी लड़ाई
नवनीत राणा ने कहा कि मेरे पति रवि राणा किसानों के मुद्दे पर तीन बार जेल गए थे। वो किसानों की मांग के लिए लड़ते हैं। हमने बोला कि किसानों की बिजली का बिल 50 फीसदी माफ करे, हमने इसके लिए आंदोलन किया। आज बेरोजगारी तीन गुना ज्यादा है महाराष्ट्र में, लेकिन उद्धव सरकार ने इसे अनसुना कर दिया। धर्म के बारे में राणा ने कहा कि मेरा धर्म जो सिखाता है उसके लिए हम लड़ाई जारी रखेंगे।
दो साल मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं गए उद्धव
उद्धव ठाकरे पर हमला बोलते हुए राणा ने कहा कि वह दो साल मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं गए, वह किस दिशा में प्रदेश को लेकर जा रहे हैं, वह सवाल खड़ा करता है। जो स्टेज पर खड़े होकर बोलते हैं मंदिर जाना जरूरी नहीं है, हनुमान चालीसा पढ़ने की जरूरत नहीं है, उनके हिंदुत्व पर क्या ही कहें। बाल ठाकरे का जो अंदाज था, वह उनके साथ ही चला गया, वह उद्धव ठाकरे में नहीं है। अंदाज रहता तो वह कभी पद पर नहीं रहते, बाल ठाकरे ने कभी पद का मोह नहीं किया।