आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 05 नवम्बर 2022 : जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि संसार में जितनी भी दिखने वाली वस्तुएं हैं वे सब नास्वर है।ईश्वर प्राप्ति में यह सब बाधा है। क्योंकि जब तक संसार से बैराग्य नहीं होगा जब तक ईश्वर की प्राप्त नहीं हो सकती।जब मनुष्य संसार के बारे में हकीकत जान लेगा तो उसे बैराग्य ले लेगा लेकिन जब ईश्वर के बारे में जान लेगा तो उनसे प्रेम हो जाएगा। भगवान की तरफ खिंचाव होने का नाम भक्ति है। भक्ति कभी पूर्ण नहीं होती। प्रत्यूष उत्तरोत्तर बढ़ती ही रहती है। भेद मत में होता है प्रेम नहीं। प्रेम संपूर्ण मत वादों को खा जाता है।भागवत प्रेम में जो आनन्द है वह ज्ञान में नहीं है। ज्ञान में तो अखंड आनन्द है पर प्रेम में अनंत आनन्द है। तपस्या से प्रेम नहीं मिलता प्रत्यूष शक्ति मिलती है। प्रेम भगवान में अपनापन होने से मिलता है। जिसका मिलना अवश्यंभावी है उस परमात्मा से प्रेम करो और जिसका बिछुड़ना अवश्यंभावी है उस संसार की सेवा करो। प्रेम वही होता है जहां अपने सुख और स्वार्थ की गंदगी नहीं होती। जब तक साधक अपने मन की बात पूरी करना चाहेगा तब तक उसका न शगुण में प्रेम होगा न निर्गुण में। जो चीज़ अपनी होती है वह सदा अपने को प्यारी लगती है। अतः एकमात्र भगवान को अपना मान लेने पर भगवान में प्रेम प्रकट हो जाता है। जब तक संसार से प्रेम है तब तक भगवान में असली प्रेम नहीं है।जब तक नाशवान की तरफ खिंचाव रहेगा तब तक साधन करते हुए भी भगवान की तरफ खिंचाव और उसका अनुभव नहीं होगा। प्रेम मुक्ति से भी आगे की चीज है मुक्ति तक तो जीव रस का अनुभव करने वाला होता है। पर प्रेम में वह रस का दाता बन जाता है। ज्ञान मार्ग में दुख बंधन मिट जाता है और स्वरूप में स्थित हो जाताहै। पर मिलता कुछ नहीं। परंतु भक्ति मार्ग में प्रतिक्षण प्रेम मिलता है।

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