पटना, 16 सितम्बर, 2023:- ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में हमारे ऋषियों के अनुपम अवदानों तथा पं॰ दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का समावेश है। यह शिक्षा नीति भारत की गौरवशाली परम्परा, संस्कृति एवं इतिहास आदि के अनुरूप है तथा इसे प्राथमिक स्तर पर भी लागू किया जाना चाहिए।’’- यह बातें महामहिम राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने एस॰एम॰डी॰ कॉलेज, श्रीपालपुर, पुनपुन, पटना में ‘सक्षम राष्ट्र के निर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं एकात्म मानववाद दर्शन का योगदान’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा हमारे देश की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति, इतिहास, परम्परा आदि के अनुकूल होनी चाहिए। पं॰ दीनदयाल उपाध्याय ने इन्हें राष्ट्र की सोच के रूप में हमारे सामने रखा। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र की भी आत्मा होती है जिसे पं॰ दीनदयाल उपाध्याय ‘चिति’ कहते थे। इसे भूलने पर देश में अनेक प्रकार की समस्याएँ आती हैं। इस चिति को भूलने के कारण ही हम अपनी संस्कृति को भूल गए, गुलाम बनें और राष्ट्र का विभाजन हुआ। आज हमें पुनः अपने ‘स्व’ को जागृत करने की जरूरत है ताकि हमारा राष्ट्र आगे बढ़ सके। पं॰ दीनदयाल उपाध्याय ने इसी विचार को हमारे सामने रखा।

राज्यपाल ने कहा कि अनेक वर्षों के बाद आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 शिक्षा को औपनिवेशिक विसंगतियों से मुक्त करने का प्रयास है। उन्होंने बिहार में सेमेस्टर सिस्टम पर आधारित स्नातक पाठ्यक्रम के लागू होने का श्रेय कुलपतियों एवं राज्य की जनता को देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्राथमिक स्तर पर भी लागू किया जाना चाहिए ताकि बच्चे  यहाँ की गौरवशाली विरासत से अवगत हो सकें। उन्होंने कहा कि बिहार की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यन्त समृृद्ध है। वैशाली विश्व में लोकतंत्र की जननी है। महिषी में आदि शंकराचार्य एवं मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ हुआ था। बिहार का संबंध भगवान बुद्ध, महावीर एवं सम्राट अशोक जैसे महापुरूषों से रहा है। यह माता सीता का जन्म स्थल है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए। बिहार हरेक परिवर्तन में सदैव अग्रणी रहा है। उन्हें विश्वास है कि यह राज्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने में भी आगे रहेगा तथा देश की जनता इसका अनुसरण करेगी। 

राज्यपाल ने इस अवसर पर महाविद्यालय के गोल्डेन जुबली भवन के भूतल पर सुसज्जित सरस्वती सभागार का लोकार्पण एवं प्रथम तल पर नवनिर्मित राम दयाल पुस्तकालय का उद्घाटन किया। उन्होंने स्मारिका एवं पुस्तकों का विमोचन भी किया। कार्यक्रम को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्रोफेसर एवं भारतीय अनुसंधान इतिहास परिषद्, नई दिल्ली के सदस्य श्री हिमांशु चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो॰ आर॰के॰ सिंह, महाविद्यालय के प्रधानाचार्य रामकिशोर सिंह, शिक्षकगण, शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण, छात्र-छात्राएँ एवं अन्य लोग उपस्थित थे। 

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