नही बदली शिक्षा , चिकित्सा एवं एमडीएम व्यवस्था

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 16 जुलाई 2023 : मशरक प्रखंड के धरमासती गंडामन गांव में सरकारी विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना के जहरीले निवाले ने 22 मासूमों के मौत को दस वर्ष बीत गए लेकिन व्यवस्था जस की तस बनी हुई है । आज घटना के दसवीं बरसी पर मासूमो के परिजन बच्चो के स्मारक पर पूजा हवन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। दस वर्ष पुराना घाव उनके घरो में बरसी के दिवस पर ताजा हो गया । मृत बच्चों के घर एक बार फिर मातम दिखा। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डा वीणा कुमारी , आसपास के स्कूली बच्चे , पंचायत प्रतिनिधि सहित कई गणमान्य लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया । जिसमें जिला परिषद सदस्य चांदनी देवी, जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामाधार सिंह, भाजपा मंडल अध्यक्ष बीरबल कुशवाहा, पंचायत के मुखिया राजेंद्र प्रसाद राय , एम्स के डॉक्टर जगजीत पांडेय, वरुण राय, महेश कुमार सिंह, सत्येंद्र सिंह, प्रखंड सरपंच संघ के अध्यक्ष अजय कुमार सिंह, बिडिसी नितेश कुमार सिंह, विद्यालय प्रधान राजकिशोर साह सहित अन्य शामिल हुए।

गंडामन नवसृजित विद्यालय में 16 जुलाई 2013 हुए दर्दनाक हादसा आज भी लोगो के जेहन में जिंदा है । अपने इकलौते बच्चे को हादसे में खोने वाले आख़िलानन्द मिश्र बताते है कि हादसे के बाद भी गाँव के बचे बच्चो की पढ़ाई , मिड डे मील एव स्वास्थ को लेकर सरकारी दावे सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गए है।

घटना के बाद राज्य सरकार ने लिया था गांव को गोद
बच्चों की मौत के बाद सरकार ने गंडामन गांव को गोद ले लिया था। इसके बाद गांव के विकास को पंख लग गए। जिस स्कूल में घटना हुई उसका नया बिल्डिग बनना शुरू हुआ जो 8 वर्ष बाद भी अधूरा है । विद्यालय को कक्षा 8 तक अपग्रेड किया गया किन्तु 10 वर्ष बाद भी विद्यालय को एक अदद शिक्षक नही मिला । घटना के बाद से आज तक सभी शिक्षक प्रतिनियोजन पर आज भी है । मृत बच्चों की याद में लाखो रूपए की लागत से स्मारक, प्लस टू हाईस्कूल की स्थापना, स्वास्थ्य उपकेंद्र, जल मीनार बने। गांव की अधिकांश सड़कों को बनाने का काम शुरू हुआ जो आज भी अधूरा है । गांव में बिजली की व्यवस्था, पीड़ित परिवारों सहित गांव के अन्य लोगों को भी पक्का आवास, पेंशन योजना, परिसर में पोखरे का उन्नयन आदि अनेक विकास योजनाओं को गति मिली लेकिन कई योजनाएं अब भी अधूरी हैं।वही उप स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति नही हुई। स्कूल परिसर में दफनाए गए बच्चे का स्मारक वर्षों बाद भी नही बन पाया। जाने पर क्षतिग्रस्त हो रहा है। चारों तरफ गंदगी पसरी हुई है।
