राजा साहेब की जयंती पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुई लघुकथा-गोष्ठी

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 10 सितम्बर 2022 : पटना । महान कथा-शिल्पी राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह, कथा-लेखन में अपनी अत्यंत लुभावनी शैली के कारण, हिन्दी-कथा-साहित्य में शैली-सम्राट के रूप में स्मरण किए जाते हैं। उनकी कहानियाँ अपनी नज़ाकत भरी भाषा और रोचक चित्रण के कारण, पाठकों को मोहित करती हैं। कहानी किस प्रकार पाठकों को आरंभ से अंत तक पढ़ने के लिए विवश कर सकती है, इस शिल्प को वो जान गए थे। इसीलिए वे अपने समय के सबसे लोकप्रिय कहानीकार सिद्ध हुए। उनकी झरना-सी मचलती, शोख़ और चुलबुली भाषा ने पाठकों को दीवाना बना दिया था। उन्होंने अपनी कहानियों में समय का सत्य, मानवीय संवेदनाओं, मानवजाति के एकत्व और सामाजिक सरोकारों को सर्वोच्च स्थान दिया। 

यह बातें आज यहाँ बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में राजाजी की जयंती के अवसर आयोजित समारोह और लघुकथा-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि राजा जी हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के पक्षधर थे। उनकी अत्यंत लोकप्रिय रही रचनाओं राम-रहीम, माया मिली न राम, पूरब और पश्चिम, गांधी टोपी, नारी क्या एक पहेली, वे और हम, तब और अब, बिखरे मोती आदि में इसकी ख़ूबसूरत छटा देखी जा सकती है। 

समारोह का उद्घाटन करते हुए, वरिष्ठ क़लमकार और पूर्व सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा ने कहा कि अद्भुत व्यक्तित्व के धनी थे राजा साहेब। शाहाबाद की दो साहित्यिक विभूतियों को साहित्य-संसार कभी भुला नही सकता . वे थे राजा जी और दूसरे थे आचार्य शिवपूजन सहाय। राजा साहेब ने अपना सारा जीवन हिन्दी साहित्य को दे दिया। वे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दूसरे सभापति थे। उनकी लेखनी की विशेषता यह थी कि उनकी कहानी पढ़ता हुआ पाठक स्वयं वही अनुभूति करता था, जैसा कि कथा के पात्र। उनका स्वभाव बहुत विनोदी था। उनके साथ बैठना आनन्द के अजस्र-स्रोत से जुड़ जाने जैसा था। अहंकार शून्य व्यक्ति थे। उन्हें देखकर यह लगता नहीं था कि वे एक एस्टेट के राजा थे। 

वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, प्रो सुशील झा, डा सुषमा कुमारी, चंदा मिश्र, निर्मला सिंह, नेहाल कुमार सिंह निर्मल, डा कुंदन लोहानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजित लघुकथा गोष्ठी में सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने पुकारता कब तक, डा कल्याणी कुसुम सिंह ने लोग क्या कहेंगे, विभारानी श्रीवास्तव ने परवरिश, कुमार अनुपम ने दहेज, अजित कुमार भारती ने चालाक लोमड़ी शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया। 

मंच का संचालन कुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह ने किया। 

हिन्दी पखवारा के अंतर्गत आज विद्यार्थियों के लिए देशभक्ति-गीत-गायन-प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें किलकारी, बिहार बाल भवन, सैदपुर, सुदर्शन सेंट्रल स्कूल, पटना सिटी, डी ए वी विद्युत बोर्ड कौनोनी,पटना तथा संत जौन्स पब्लिक स्कूल, पटना के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। 

संस्कृत संभाषण शिविर के ९वें दिन शिविर के मुख्य आचार्य डा मुकेश कुमार ओझा ने संस्कृत में संख्या ज्ञान की शिक्षा दी तथा उनसे सरल पंक्तियों के निर्माण का प्रशिक्षण दिया।

इस अवसर पर, रामाशीष ठाकुर, सतीश कुमार राजू, कुमार गौरव, चंद्रशेखर आज़ाद, अमन वर्मा, अमित कुमार सिंह, रवींद्र कुमार सिंहा, शोभित सुमन, दुःखदमन सिंह, दिगम्बर जायसवाल, महफ़ूज़ आलम, दीन दयाल पटेल, अभिषेक सिंह, डौली कुमारी, परिषोत्तम मिश्र, अशोक सिंह आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

कल पखवारा के ११वें दिन, २ बजे से विद्यार्थियों के लिए साहित्य प्रश्नोत्तरी-प्रतियोगिता, ३ बजे से संस्कृत संभाषण शिविर तथा ४ बजे से केदारनाथ मिश्र प्रभात जयंती एवं कवि-गोष्ठी आयोजित होगी।

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