भगवान का स्वरूप मानकर सत्य को धारण करना चाहिए- सुश्री राधा किशोरी जी

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 18 नवम्बर 2022 : पटना : आचार्य गद्दी कबीर मठ फतुहा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन व्यास पीठ पर कथा व्यास राधा किशोरी जी का स्वागत अभिनंदन मठ के संरक्षक महंत ब्रजेश मुनी , पत्रकार मनोज कुमार पांडेय , डॉक्टर लक्ष्मी नारायण सिंह  ,भाजपा नेत्री शोभा देवी , कबीर मठ,फतुहा की न्यास समिति के सदस्य संत विवेक मुनि, संत अशोक दास ने किया।

दूसरे दिन की कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए राधा किशोरी जी ने सत्यं परं धीमहि वाक्य उतारते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत में सत्य को भगवान का स्वरूप बताया गया है इसलिए सत्य को भगवान का स्वरूप मानकर धारण करना चाहिए ।व्यास शुकदेव जी के जन्म की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने पार्वती को भगवात की कथा सुनाये। उस कथा को गुप्त रूप से शुकदेव सुन रहे थे इसकी जानकारी जब भगवान शिव को हुई तो शुकदेव जी वहां से भागे और व्यास जी के आश्रम जाकर छिप गये उसी समय व्यास पत्नी के मुख से सुक्ष्म रुप धारण कर प्रवेश कर गये ।12 वर्षों में रहने के बाद उन्होंने जन्म लिया ।प्रसंग वश राधा किशोरी जी ने कौरव पांडव के महाभारत की चर्चा की भगवान के उत्तर के पुत्र को बचाया अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का मारा‌। भीष्म पितामह ने भगवान कृष्ण के सम्मुख प्राण का त्याग किया। कृष्ण द्वारिका लौट कर आए परीक्षित का जन्म हुआ। भगवान श्री कृष्ण ने गाय और पुरुषों को कलयुग से बचाया। कलयुग को जुआ मदिरापान, स्त्री प्रसंग, धन और सोने में रहने का स्थान दिया राजा परीक्षित ने अज्ञात वश वन में तपस्या रत शमीक ऋषि गले में म्रृत सर्व डाल दिया । ऋषि के शाप से परीक्षित को जीवन का सात दिन ही बचा था जिसमें सुशुकदेव जी के मुख से भागवत सुनकर राजा परीक्षित मृत्यु के भय को भी जीत लिया मनुष्य जन्म सौ वर्ष की है इस जीवन का हर पल भगवान को समर्पित करके जाना चाहिए ‌।

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