पांच जजों संविधान पीठ में चार जजों के बहुमत के फैसला में केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने ये भी कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया। छह महीने तक सरकार और आरबीआई के बीच इस मसले को लेकर बातचीत हुई और इसके बाद फैसला लिया गया।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 03 जनवरी 2023 : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 के 500 रुपए और 1000 रुपए के करेंसी नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि कार्यपालिका की आर्थिक नीति होने के कारण, निर्णय को उलटा नहीं जा सकता है. निर्णय लेने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण नहीं है.केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस नजीर  की अध्यक्षता वाली पांच जजों की  संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत का फैसला  में यह  भी कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया। छह महीने तक सरकार और आरबीआई के बीच इस मसले को लेकर बातचीत हुई और इसके बाद फैसला लिया गया।सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस नजीर दो दिन बाद यानी चार जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। रिटायरमेंट से पहले उनका ये बड़ा फैसला ऐतिहासिक बताया जा रहा है। इस बेंच में जस्टिस नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल रहे। 

 5 जजो में से सिर्फ जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जताई असहमति

सुप्रीम कोर्ट कि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने सभी ₹500 और ₹1,000 के नोटों के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) को सही ठहराने वाले बहुमत के दृष्टिकोण से अलग एक असहमतिपूर्ण निर्णय लिखा कि आरबीआई अधिनियम केंद्र सरकार के संकेत पर विमुद्रीकरण पर विचार नहीं करता है. ये अकेली जज हैं जिन्होंने अलग फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने नोटबंदी पर यह फैसला सुनाया. इस बेंच की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर कर रहे थे. बेंच में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, ए.,एस बोपन्ना, वी. रामा सुब्रमण्यम और बीआर गवई थे. इनमें जस्टिस बीवी नागरत्ना का फैसला नोटबंदी के खिलाफ रहा. उनका तर्क था कि ‘नोटबंदी का प्रस्ताव सरकार की ओर से आया था. RBI की राय मांगी गई थी’ RBI अधिनियम की धारा 26 (2) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की राय को किसी भी तरह सिफारिश नहीं माना जा सकता. नागरत्ना का कहना था कि नोटबंदी अगर करनी ही थी तो इसका फैसला आरबीआई को लेना चाहिए था, न कि केंद्र सरकार को. 2016 में ऐसा नहीं किया गया इसीलिए कानूनी तौर पर नोटबंदी को सही नहीं ठहराया जा सकता.

नोटबंदी की कार्रवाई गैरकानूनी: न्यायमूर्ति नागरत्ना

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नोटबंदी की कार्रवाई गैरकानूनी है। लेकिन इस समय यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती है। अब क्या राहत दी जा सकती है? राहत को ढालने की जरूरत है।

 नोटबंदी प्रभावी नहीं हो सकी: न्यायमूर्ति नागरत्ना

नोटबंदी से जुड़ी समस्याओं से एक आश्चर्य होता है कि क्या सेंट्रल बैंक ने इनकी कल्पना की थी? यह रिकॉर्ड पर लाया गया है कि 98% बैंक नोटों की अदला-बदली की गई। इससे पता चलता है कि उपाय स्वयं प्रभावी नहीं था जैसा कि होने की मांग की गई थी। लेकिन अदालत इस तरह के विचार के आधार पर अपने फैसले को आधार नहीं बना सकती है। उन्होंने कहा कि 500 रुपये और 1000 रुपये के सभी नोटों का विमुद्रीकरण गैरकानूनी और गलत है। हालांकि, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अधिसूचना पर कार्रवाई की गई है, कानून की यह घोषणा केवल भावी प्रभाव से कार्य करेगी और पहले से की गई कार्रवाइयों को प्रभावित नहीं करेगी।

बीवी नागरत्ना पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं

बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रह चुके ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं। वह देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं. सीनियोरिटी के लिहाज से देखा जाए तो उन्हें 2027 में यह मौका मिल सकता है.

नोटबंदी एक व्यापक आर्थिक नीति का हिस्सा था

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने नोटबंदी की वजहें समझाते हुए कहा था कि नोटबंदी कोई अकेला कदम नहीं था बल्कि एक व्यापक आर्थिक नीति का हिस्सा था, ऐसे में ये संभव नहीं है कि आरबीआई और सरकार अलग-थलग रहकर काम करती रहें। उन्होंने कहा था कि आरबीआई और केंद्र सरकार एक-दूसरे के साथ सलाह-मशविरा करते हुए काम करते हैं। 

आरबीआई ने बताया कि उसके नियमों का हुआ पालन 

आरबीआई ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड मीटिंग के दौरान आरबीआई जनरल रेगुलेशंस, 1949 की कोरम (बैठक में एक निश्चित सदस्यों की संख्या) से जुड़ी शर्तों का पालन किया गया। रिजर्व बैंक ने बताया है कि इस बैठक में आरबीआई गवर्नर के साथ-साथ दो डिप्टी गवर्नर और आरबीआई एक्ट के तहत नामित पांच निदेशक शामिल थे। ऐसे में कानून की उस शर्त का पालन किया गया था जिसके तहत तीन सदस्य नामित होने चाहिए। 

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