
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 16 मार्च 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यह बहुत परेशान करने वाली बात है कि राज्यपाल चुनी हुई सरकारों के पतन को तेज करने के लिए राजनीतिक प्रक्रियाओं में शामिल हो रहे हैं। कोर्ट ने राज्य की राजनीति में राज्यपालों द्वारा निभाई जा रही सक्रिय भूमिका पर जोर देते हुए अपनी ‘गंभीर चिंता’ व्यक्त की।

पूर्व की उद्धव सरकार के फ्लोर टेस्ट पर कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया
दरअसल, चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 30 जून को फ्लोर टेस्ट लेने का आदेश देने के फैसले का हवाला दिया। पिछले साल, जब शिवसेना में बगावत चरम पर थी, और कहा था कि विद्रोह शिवसेना का आंतरिक मामला है।

सॉलिसिटर जनरल ने दावे का किया खंडन
कोर्ट ने कहा कि इस दावे की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि एक राजनीतिक दल के रूप में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से बनाई गई महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का समर्थन करना बंद कर दिया था। पिछले गवर्नर का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल ने इस दावे का खंडन किया।

राज्यपाल की शक्ति पर नहीं उठा रहे सवाल- कोर्ट
सीजेआई ने कहा कि, ‘राज्यपाल को सचेत होना चाहिए था कि ठाकरे को विश्वास मत का सामना करने के लिए कहना, सरकार को गिराने का काम कर सकता है। अगर शिवसेना के विधायक अपने नेता से नाखुश होते तो वे नेता की जगह ले सकते थे, लेकिन क्या राज्यपाल यह कह सकते हैं कि पार्टी में असंतोष के कारण मुख्यमंत्री को विश्वास मत का सामना करना चाहिए? हम मुख्यमंत्री को विश्वास मत का सामना करने के लिए कहने की राज्यपाल की शक्ति पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन समस्या यह है कि राज्यपाल को किसी सरकार के गिरने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होना चाहिए।’
