आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 06 जनवरी 2023 : बिक्रमगंज (रोहतास)। काराकाट प्रखंड क्षेत्र के लोरीबांध गांव की पूनम सिंह चौदह साल की उम्र में ही बेहतर फुटबॉल की खिलाड़ी बन गई थी । वह विदेशों में भी भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तानी कर चुकी है । पूनम सिंह वर्ष 1996 से 2005 तक विदेशों में भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी की है । इसके अलावा वर्ष 2007-08 में दिल्ली में भारतीय महिला फुटबॉल महासंघ की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चैंपियनशिप हासिल की ।

पूनम सिंह की खेल प्रतिभा से प्रभावित होकर तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने उसे रेलवे में नौकरी प्रदान की थी । पूनम ने बताया कि वह पहला अंतर राष्ट्रीय फुटबॉल मैच 1996 में बंगलादेश में खेली थी । वर्ष 2004 में सिंगापुर , 2005 के जनवरी माह में चाइना में हुए अंतराष्ट्रीय फुटबॉल मैच में भारतीय टीम की कप्तान थी । उसने बताया कि वह अपने गांव में लड़को की टीम में फुटबॉल खेलती थी ।तत्कालीन महिला फुटबॉल संघ के सचिव महेन्द्रनाथ पांडेय को पूनम की खेल प्रतिभा की जानकारी हुई, तो उसे सासाराम बुलाकर फुटबॉल का अभ्यास कराना शुरू किया ।

फलत: 14 साल की उम्र में ही पूनम एक बेहतर फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में चर्चित हो गई । अब वह बिहार की ओर से राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व करती है । पूनम ने पहला सीनियर राष्ट्रीय फुटबॉल मैच में बंगाल टीम को पराजित किया था । उसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का अवार्ड भी मिला था । अपनी इस उपलब्धि का श्रेय पूनम अपने पिता वीरेन्द्र सिंह व फुटबॉल के गुरू महेन्द्रनाथ पांडेय को देती है । उसकी इस उपलब्धि पर उसके गांव वाले खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं । वह पांच बहन व एक भाई है । उसके पिता साधारण किसान हैं ।

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