2005 विद्यालयों के शिक्षको एवं कर्मचारियों के भविष्य को अंधकार में डालने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी ।
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 12 जून 2023 : पटना : छात्र डेटा संग्रह के लिए देश भर में यूडायस प्लस पोर्टल को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग के हालिया प्रयास की पुर्णतः आलोचना की गई है क्योंकि इसके लिए प्रत्येक छात्र के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता है। इस कदम ने निजी स्कूलों एवं अभिभावकों के बीच चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इससे छात्रों को आधार कार्ड प्राप्त करने की आवश्यकता होगी, जिससे संभावित व्यवधान और लंबी कतारें नोटबंदी युग की याद दिलाती हैं। उल्लेखनीय है कि भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन का हवाला देते हुए एक अनुबंध के तहत किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए निजी संस्थाओं द्वारा व्यक्तिगत आधार संख्या के उपयोग के खिलाफ फैसला सुनाया है। शिक्षा विभाग ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए सभी अभिभावकों को नोट बंदी की तरह आधार कार्ड बनवाने हेतु लाइन में खड़ा करने के का पूर्ण इंतजाम कर दिया है ।
क्या कहते है निजी विद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष :
राष्ट्रिय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने कहा की युडायस प्लस पोर्टल के आड़ में शिक्षा विभाग ने निजी विद्यालयों को बंद करवाने की साजिश रची है जो सभी अभिभावकों एवं विद्यार्थियों के समझ में बखूबी आरहा है । शिक्षा विभाग ने सूबे के 2005 निजी विद्यालयों को बंद करने का फरमान जारी किया है जो निंदनीय है । यु डायस प्लस पोर्टल एक सॉफ्टवेर है जिसमे विद्यार्थियों के डेटा को भरना था अब इस कार्य को पूर्ण नहीं करने पर निजी विद्यालयों को मृत्यु दंड दिया जा रहा है जो कतई भी मान्य नहीं है । इस तरह के तुगलकी फरमान का विरोध पूरा राज्य के निजी विद्यालय संचालक , शिक्षक एवं अभिभावक करेंगे । शिक्षा विभाग ने दिखावे की सभी पराकाष्ठा को पार करते हुए सिर्फ शिक्षा के अधिकार के तहत पढने वाले बच्चो के नामांकन का फरमान सरकारी विद्यालयों में जारी किया है परन्तु अन्य श्रेणी के बच्चो से आँखे मूंद ली है । जिन विद्यालयों को शिक्षा विभाग ने बंद करने का फरमान जारी किया है उनमे पढ़ने वाले अन्य विद्यार्थियों एवं पढ़ाने वाले शिक्षको एवं अन्य कर्मचारी के बारे में क्या शिक्षा विभाग ने सोचा है की उनका एवं उनके परिवार का भविष्य अंधकार में जाने की पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी ।
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले और उसके बाद के आदेशों के आलोक में, निजी स्कूल के छात्रों को आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए मजबूर करने के शिक्षा विभाग के आग्रह को गहरे असंतोष का सामना करना पड़ सकता है। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमाल अहमद ने इस प्रतिशोधी कृत्य पर चिंता व्यक्त की है, इसे शिक्षा विभाग द्वारा एक निरंकुश दृष्टिकोण के रूप में चिह्नित किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की यह अवहेलना गोपनीयता और व्यक्तिगत अधिकारों के सिद्धांतों के लिए विभाग के सम्मान के बारे में सवाल उठाती है। इस निर्णय के निहितार्थ दूरगामी हैं और भारत की प्रगति पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। निजी स्कूलों को इस आवश्यकता का पालन करने के लिए मजबूर करने से अंततः इन संस्थानों को बंद किया जा सकता है, जिससे शैक्षिक अवसरों का नुकसान हो सकता है और समग्र रूप से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन शिक्षा विभाग से यूडायस प्लस पोर्टल में आधार कार्ड को अनिवार्य रूप से जोड़ने पर अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता है। व्यक्तियों के गोपनीयता अधिकारों का सम्मान करना और भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित सिद्धांतों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। एक संतुलित समाधान खोजने के लिए सहयोगी चर्चा और अधिक समावेशी दृष्टिकोण आवश्यक है जो इसमें शामिल सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हितों को पूरा करता है ।
निजी विद्यालय संचालको के हित में निजी विद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मांग :
राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री से मांग किया है की निजी विद्यालयों को यु डायस प्लस पोर्टल पर डेटा भरने हेतु दो महीने का समय महैया करवाया जाये ताकि सभी निजी विद्यालय अपने अपने विद्यालयों में पढने वाले विद्यार्थियों का डेटा यु डायस प्लस पोर्टल पर अपलोड कर सकें । साथ ही माननीय उच्चतम न्यायलय के आदेश के आलोक में आधार कार्ड की अनिवार्यता को अविलम्ब ख़त्म करना चाहिए अन्यथा कंटेम्प ऑफ कोर्ट का मामला बन सकता है जो शिक्षा विभाग के हक़ में नहीं होगा ।