आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 07 फरवरी 2022 : सासाराम : प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ने बताया कि बिहार सरकार ने सोमवार दिनांक 07 फ़रवरी 2022 से विद्यालयों को भौतिक रूप से संचालित करने का आदेश पारित किया है परंतु विद्यालय खुलेंगे कैसे जब बिहार बोर्ड के द्वारा जबरन निजी विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। निजी विद्यालयों के परिसर में जबरन बिहार बोर्ड के दसवी एवं बारहवीं कक्षाओं के बोर्ड परीक्षाओं का केंद्र बनाया जा रहा है जिसके वजह से निजी विद्यालय बिहार सरकार के आदेशौपरांत भी विद्यालयों को नहीं खोल पा रहे है। लगभग पूरी फ़रवरी माह तक बिहार बोर्ड ने सूबे के लगभग सभी विद्यालयों में परीक्षा केंद्र बनाया है जिसके वजह से सभी विद्यार्थी अपने अपने विद्यालयों में लौट नहीं पर रहे है।

राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉक्टर वर्मा ने कहाँ कि बिहार राज्य के शिक्षा विभाग के द्वारा निजी विद्यालयों को जबरन विवश कर के बिहार बोर्ड के दसवी एवं बारहवीं बोर्ड परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र बनाना कहाँ तक है जायज़ ? जबकि बिहार बोर्ड के पास अथाह पैसा है और प्रत्येक वर्ष विद्यार्थियों के द्वारा बोर्ड परीक्षा के पंजीकरण हेतु मोटी रक़म भी ली जाती है परंतु फिर भी मुफ़्त में निजी विद्यालयों के परिसर को जबरन ले कर निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के भविष्य को लगभग एक महीने तक अंधकार झोंक दिया जाता है। वर्ष 1952 में बिहार बोर्ड की स्थापना हुई थी और आज तक अरबों रुपए की कमायी हो चुकी है बिहार बोर्ड की परंतु आज तक बिहार राज्य के 38 ज़िलों में से किसी भी ज़िले में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया है और ना ही इस दिशा में कोई भी कदम उठाया जा रहा है।

राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ एस० पी० वर्मा ने कहा की इन्ही निजी विद्यालयों में सरकार कोरोना काल से ले कर आज तक लगातार परीक्षाओ का आयोजन करवा रही है और उन परीक्षाओ के आयोजन हेतु परीक्षार्थियों से पंजीकरण के नाम पर मोटी रकम भी वसूल रही है परन्तु किसी भी निजी विद्यालयों को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी जा रही है और मुफ्त में सभी निजी विद्यालयों के भवनों को इन परीक्षाओ को संचालित करवाने हेतु इस्तेमाल किया जा रहा है | एसोसिएशन राज्य सरकार से पूछना चाहता है की क्या जब निजी विद्यालय ने राज्य सरकार से कोई भी राशि अनुदान स्वरूप नहीं लिया है तो इस तरह ज़बरदस्ती उनके परिसर में परीक्षा किस आधार पर करायी जा रही है ? और जब कोई भी निजी विद्यालय एक पैसा नहीं लेता है तो बिहार बोर्ड के द्वारा पंजीकरण शुल्क लेने का क्या औचित्य है ?

राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ एस० पी० वर्मा ने कहा की राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के इस उदासीन रैवाईये को देखते हुए अब निजी विद्यालयों के संचालक , शिक्षक , शिक्षिकाएं एवं कर्मचारीगण , विद्यार्थी एवं अभिभावगण त्रस्त हो चुके है। यह पूछना अब ज़रूरी हो गया है की आख़िर इतना पैसा कहा खर्च हो रहा है। परीक्षा केंद्र के नाम पर निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। लगभग एक महीने तक प्रत्येक वर्ष निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थीयों की पठन पाठन व्यवस्था को पूर्णतः ठप्प कर दिया जा रहा है आख़िर इसका ज़िम्मेदार कौन है ? क्यों बिहार बोर्ड के पदासीन अधिकारीयो ने आज तक किसी भी निजी विद्यालय संचालकों एवं एसोसीएशन के साथ बैठक तक नहीं किया है ? क्या निजी विद्यालय शिक्षा विभाग का अंग नहीं है ? राज्य सरकार एवं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है की जल्द से जल्द इस दिशा में उचित कार्यवाही करते हुए निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अंधकार में जाने से बचाए अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब विद्यार्थी अभिभावक शिक्षक शिक्षिकाएं आंदोलन करने पर बाध्य हो जाएँगे।

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