पश्चिम बंगाल में अब राज्यपाल नहीं होंगे चांसलर। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जल्द ही राज्यपाल की जगह राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर बन जाएंगी। इस संबंध में ममता बनर्जी की सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया है।

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 26 मई 2022 : पश्चिम बंगाल : राज्य सरकार के अधीन आने वाले विश्वविद्यालयों के चांसलर आमतौर पर राज्य के राज्यपाल होते हैं। उनकी अनुमति से ही विश्वविद्यालयों को काम करना होता है। मगर पश्चिम बंगाल की सरकार ने इस सिस्टम को बदलने का फैसला किया है। आज बंगाल कैबिनेट ने फैसला लिया है कि अब राज्य संचालित यूनिवर्सिटी की चांसलर मुख्यमंत्री होंगी, न की राज्यपाल। इससे संबंधित बिल को जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा। ममता सरकार के इस कदम के बाद राजभवन और राज्य सरकार के बीच तल्खी और बढ़ने का अनुमान जताया जा रहा है।

ममता सरकार में मंत्री ब्रात्य बसु ने आज कहा कि आज हमने फैसला लिया है कि राज्यों के सभी विश्विद्यालयों के चांसलर राज्यपाल नहीं बल्कि सीएम होंगी। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने बैठक के बाद कहा, “मुख्यमंत्री को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने वाले विधेयक को बंगाल मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव को जल्द ही विधानसभा में एक विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।”बता दें कि कुछ दिन पहले ही विश्विद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर बंगाल में रस्साकसी की खबरें सामने आई थीं। बंगाल की ममता सरकार ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार की सहमति के बिना कई कुलपतियों की नियुक्ति कर दी। इसलिए राज्यपाल की शक्तियां कम करने के लिए ममता सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है।

अब सरकार विधानसभा की मदद से कानून में संशोधन करेगी, जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलपति बनाने का अधिकार सीएम के हाथ में आ जाएगा। इससे वाइस चासंलर और जितने भी ऑफिसिलयल अप्वाइंटमेंट में कोई दिक्कत न आए। कुल मिलाकर कहा जाए तो राजभवन और राज्य सरकार में तनावपूर्ण संबंधों के मद्देनजर ही कैबिनेट की तरफ से इतना बड़ा निर्णय लिया गया है।

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